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शुक्र(venus) ग्रह के कुछ रोचक तथ्य एवं जानकारी

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शुक्र (वीनस) ग्रह के कुछ रोचक तथ्य और जानकारी पृथ्वी के समान दिखाई देने वाला ग्रह शुक्र शुक्र ग्रह हमारे सौरमंडल का सूर्य से दुसरा और सबसे गर्म ग्रह है। यह हमारी पृथ्वी के तरह दिखने वाला ग्रह है। और शुक्र और पृथ्वी के व्यास में ज्यादा अंतर नहीं है। शुक्र ग्रह का व्यास 12104 किलोमीटर है जबकि पृथ्वी का व्यास 12742 किलोमीटर है। शुक्र ग्रह भी हमारी पृथ्वी की तरह एक स्थलीय ग्रह है। यहाँ भी पृथ्वी के समान पर्वत और पर्वत और ज्वालामुखी मौजूद हैं। इसलिए शुक्र ग्रह को पृथ्वी की बहन sister planet भी कहा जाता हैं। शुक्र ग्रह पृथ्वी से आसानी से देखा जा सकता है। चंन्द्रमा के बाद शुक्र ग्रह सबसे चमकदार आकाशीय पिंड है। जिसका कान्तिमान -4.6.है। शुक्र ग्रह पर एक दिन एक वर्ष से बड़ा होता है। शुक्र ग्रह सूर्य की एक परिक्रमा 224.7 पृथ्वी दिवस में पूरी करता है।जिसकी गति 35.02 किलोमीटर प्रति सेकंड होती है।  और यह अपनी धुरी पर एक चक्कर 243 दिन में पूरी करता है।   और यह अपने अक्ष पर घूमने पर 10.36 किलोमीटर प्रति सेकंड लगाता है मतलब शुक्र ग्रह पर एक दिन एक साल से भी बड़ा होता है। सौरमंडल के सभी ग्रह Anti clockw

बुध ग्रह(Mercury) की जानकारी

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आधुनिक विज्ञान के अनुसार बुध ग्रह की जानकारी: -   बुध ग्रह हमारे सौरमंडल का सबसे छोटा और सूर्य के सबसे पास होने के बाद दुसरा गर्म है ।]   यह हमारी पृथ्वी से 7 करोड़ 70 लाख किलोमीटर दूर है। और सूर्य से 5 करोड़ 79 लाख किलोमीटर दूर है। बुध ग्रह का व्यास हमारी पृथ्वी की तुलना में काफी कम है। हमारी पृथ्वी का औसत व्यास 12742 किलोमीटर है। जबकि बुध ग्रह का औसत व्यास 4880 किलोमीटर ही है। बुध ग्रह सौरमंडल में सूर्य के सबसे पास होने के कारण यह 88 दिनो के सबसे कम समय में सूर्य की परिक्रमा करने वाला ग्रह है। सूर्य की परिक्रमा करते समय इसकी गति 2872 किलोमीटर प्रति मिनट होती है। यह सूर्य की परिक्रमा आण्डा आकार में लगाता है जिसके कारण बुध ग्रह पर एक दिन पृथ्वी के 58 दिन 40 मिनट के बराबर होता है। यानी बुध ग्रह पर एक दिन में 1836 घंटे 38 मिनट का होता है। लेकिन बुध ग्रह का एक वर्ष 88 दिन का होता है। बुध ग्रह का धरातल समतल नहीं है। अपितु चंद्रमा की सतह की तरह उथ-खाथ है। बुध ग्रह पर कई गड्डे तो सैकड़ों किलोमीटर तक गैरी है। बुध ग्रह पर केलोरिस घांटी मौजूद है जिसका व्यास 1300 किलोमीटर तक हैं। जो चांद पे मौ

what is unique evintes of the universe

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Unique events of the universe universe     Hello friends, today we will talk about the universe. Whenever we look at the sky at night, many questions arise about the universe in our mind, such as how vast it will be, how many stars and how many planets will be there. So today we go for a walk on the universe. Universe - The immense sky that surrounds our earth and all the celestial bodies present in it and all the energy is called the universe as a whole. Our universe is so vast. Which we cannot even imagine. It is beyond our intelligence to estimate the size of its size, the number of waves present in it, their immense distance and their mass. Nevertheless, it is attempted to estimate based on the number of large results. There are hundreds of billions of stars in the universe by astronomers like Mandakania. And there are one hundred stars in every Mandaknio. Origin of the Universe - How did the Universe originate? What must have been the reasons for its orig

तारामंडल (Planetarium)

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                                                    तारामंडल      आज हम ब्रह्माण्ड में स्थित तारामंडल के बारे में जानेंगे।          तारामंडल   -  धरती से देखने पर  आसमान मे कई सारे तारे एक समूह में एक आकृति में दिखााई देेते है ओर इन आकृति को हमारे पूर्वजों ने विशिष्ट नाम दिए तारों के किसी ऐसे समूह को  तारामंडल कहते हैं।इन  तारामंडल को इन की अक्रती के आधार पर वर्गीकृत किया गया है। वृहत सप्तऋषि मंडल,लघु सप्तऋषि,मृग, सिंग्नस,हाइड्रा आदि आकाश में कुल 89 तारा मंडल है।इन में से सबसे बड़ा तारामंडल सेन्टांरस है जिसमें 94 तारे है। हाइड्रा में काम से काम68 तारे है। वृहत सप्तऋषि- इस तारामंडल में 7 सबसे चमकदार तारे है।जो आसमान में आसानी से दिखाई देते हैं। ओर इन्हीं से बना तारा मंडल व्रहत्सप्तृषी या बिग डिपर तारामंडल कहलाता है। लघु सप्तऋषि -  तारामंडल में भी 7 सबसे चमकदार तारे होते हैं।जो उत्तरी  गोलार्ध में  व्रहत्सप्तृषी एवं लघु सप्तऋषि को प्रायः बसंत ऋतु में देखा जा सकता है। मृग- इस तारा मंडल को शीत ऋतु में देखा जा सकता है मृग सर्वाधिक भव्य तारामंडलों में से एक है। इन में भी 7

धुमकेतु ,,,,(Comet)

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 धूमकेतु सौरमण्डलीय निकाय में जो पत्थर, धूल, बर्फ और गैस के बने हुए छोटे-छोटे खण्ड होते हैं। यह ग्रहो के समान सूर्य की परिक्रमा करते है। छोटे पथ वाले धूमकेतु सूर्य की परिक्रमा एक अण्डाकार पथ में लगभग 6 से 200 वर्ष में पूरी तरह से करते हैं। कुछ धूमकेतु का पथ वलयाकार होता है और वह केवल एक बार ही दिखाई देता है। लम्बे पथ वाले धूमकेतु एक परिक्रमा करने में हजारों वर्ष लगाते हैं। ज्यादातर धूमकेतु बर्फ, कार्बन डाईऑक्साइड, मीथेन, अमोनिया और अन्य पदार्थ जैसे सिलिकेट और कार्बनिक मिश्रण के बने होते हैं। धुमकेतु के मुख्य भाग- धूमकेतु के तीन मुख्य भाग हैं - 1) नाभि 2) कोमा 3)पूछ नाभि धूमकेतु का केन्द्र होता है जो पत्थर और बर्फ का बना होता है। नाभि के चारों ओर गैस और घुल के बादल को कोमा कहता है। नाभि और कोमा से निकलने वाली गैस और धूल एक पूंछ का आकार ले लेती है। जब धूमकेतु सूर्य के निकट आता है, सौर-विकिरण के प्रभाव से नाभि की गैसों का वाष्पीकरण हो जाता है। इससे कोमा का आकार बढ़कर करोड़ों मील तक हो जाता है। कोमा से निकलने वाली गैस और घुल अरवों मील लम्बी पूछ का आकार ग्रहण कर लेती है। सौर-हवा के कारण यह

Formation of a protostar(आदि तारें का निर्माण)

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प्रोटोस्टार का गठन - तारे का जीवनचक्र आकाशगंगा में मोजूद हाईड्रोजन ओर हिलियम गैसों के संघन से प्रारंभ होता है।जो अंतत: घने बादलो का रुप धारण कर लेता है इन बादलों को ऊर्ट बादल कहते हैं कि इन बादलों का तापमान -173 ° c होता है। ओर जैसे जैसे ये बादलों का आकार बढ़ता जाता है। गैसो के अणुओं के बीच गुरूत्वाकर्षण बल बढ़ता जाता हैं ।जब बादलों का आकार काफी बढ़ा हो जाता हैं ।तब ये खुद के गुरूत्वाकर्षण बल  के कारण सिकुड़ता चला जाता हैं, यह सिकुड़ता हुआ घना गैस पिंड  आदि तारा कहलाता हैं। आदि तारा प्रकाश उत्सर्जित नहीं करता है। प्रोटोस्टार से तारे का निर्माण-  आदि तारा अत्याधिक सघन गैसीय द्राव्यमान वाला पिंड है।जो विशाल गुरूत्वाकर्षण बल के कारण आगे भी संकुचित होता रहता है ज्योही आदि तारा आगे संकुचित होना आरंभ करता है। गैस के बादल में उपस्थित हाईड्रोजन परमाणु अधिक जल्दी जल्दी परस्पर टकराते हैं। हाईड्रोजन परमाणु की ये टक्कर आदि तारें के ताप को ओर अधिक बढा देती हैं आदि तारें के संकुचन की प्रक्रिया लाखों सालों तक चलती रहती हैं जिसके दौरान आदि तारें में आन्तरिक ताप, आरंभ में मात्रा_173°cसे

Vast space(विशाल अंतरिक्ष)

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अंतरिक्ष करता है पृथ्वी के बाहर स्थित वह शून्य स्थान जहां वायुमंडल मंडल समाप्त होता है अंतरिक्ष कहलाता हैं। हम इसे एसे भी समझ सकते हैं। अंत+रिक्ष-अंतरिक्ष यानी जहां हमारे छितिज का अंत होता है अंतरिक्ष कहलाता हैं। अंतरिक्ष इतना विशाल हैं।जिसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते। यह वह स्थान है जहां मानुष्य का भार शून्य हो जाता हैं। यहां ग्रेविटी काम नही करती हैं। किन्तु इस अंतरिक्ष में स्थित सभी ग्रहों तथा पिण्डों में अपना गुरूत्वाकर्षण बल होता है। जो इस विशाल अंतरिक्ष में अपनी जगह स्थित है ओर अपनी धुरी पर घूमते रहते हैं। इस अंतरिक्ष की विशालता कई प्रकाशवर्ष हो सकती हैं।इस अंतरिक्ष में कई ग्रह,तारे, मंदाकिनी, तारिकाएं, सूर्य और ब्लैकहोल मोजूद है। अंतरिक्ष में गूप अंधेरे के सिवाए ओर कुछ नहीं है।जिस प्रकार काली रात में विशाल आसमान में गूप अंधेरे में तारें दिखाई देते हैं।उसी प्रकार अंतरिक्ष में सभी ग्रह वा पिंड दिखाई देते है। हमारे द्वारा दि गई जानकारी आप को केसी लागी कमेंट कर हमें बताये