बुध ग्रह(Mercury) की जानकारी

आधुनिक विज्ञान के अनुसार बुध ग्रह की जानकारी: -  बुध ग्रह हमारे सौरमंडल का सबसे छोटा और सूर्य के सबसे पास होने के बाद दुसरा गर्म है ।] यह हमारी पृथ्वी से 7 करोड़ 70 लाख किलोमीटर दूर है। और सूर्य से 5 करोड़ 79 लाख किलोमीटर दूर है। बुध ग्रह का व्यास हमारी पृथ्वी की तुलना में काफी कम है। हमारी पृथ्वी का औसत व्यास 12742 किलोमीटर है। जबकि बुध ग्रह का औसत व्यास 4880 किलोमीटर ही है।

बुध ग्रह
बुध ग्रह सौरमंडल में सूर्य के सबसे पास होने के कारण यह 88 दिनो के सबसे कम समय में सूर्य की परिक्रमा करने वाला ग्रह है। सूर्य की परिक्रमा करते समय इसकी गति 2872 किलोमीटर प्रति मिनट होती है। यह सूर्य की परिक्रमा आण्डा आकार में लगाता है जिसके कारण बुध ग्रह पर एक दिन पृथ्वी के 58 दिन 40 मिनट के बराबर होता है। यानी बुध ग्रह पर एक दिन में 1836 घंटे 38 मिनट का होता है। लेकिन बुध ग्रह का एक वर्ष 88 दिन का होता है। बुध ग्रह का धरातल समतल नहीं है।अपितु चंद्रमा की सतह की तरह उथ-खाथ है। बुध ग्रह पर कई गड्डे तो सैकड़ों किलोमीटर तक गैरी है। बुध ग्रह पर केलोरिस घांटी मौजूद है जिसका व्यास 1300 किलोमीटर तक हैं। जो चांद पे मौजूद मारिया घटी की तरह है। वैज्ञानिकों का मत है कि बुध की सतह पर ज्वालामुखी मौजूद हैं। जिससे इसके धरातल पर कई क्रेटर दिखाई देते हैं। यह ग्रह सूर्य के इतने करीब हैं। इसे पृथ्वी से सूर्य उदय से पहले और सूर्य अस्त के बाद ही देखा जा सकता है।
सूर्य के सबसे करीब ग्रह बुध
बुध ग्रह का चुम्बकीय क्षेत्र पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र की तुलना में केवल 1% है। जिसके कारण इसका कोई उपग्रह नहीं है। और ना ही इस ग्रह पर कोई रितु या वातावरण पाया जाता है। वैज्ञानिकों ने अपनी खोज में पाया कि यहां किसी भी प्रकार का जीवन सम्भव नहीं है। क्योंकि यहाँ दिन का तापमान 800 ° F और रात का तापमान -173 ° F होता है। बुध ग्रह की सतह पर कई झुर्रियां पाई जाती हैं। जिसका एक कारण इसका सूर्य के निकट होना है। सूर्य की गर्मी के कारण इसके मूल में मौजूद लौह तत्व पिघलने लगते हैं। और रात होने पर ठण्डे होने लगते हैं। बुध की ये झुर्रियो को लोबेट सिर्केप कहते हैं।
बुध पर उपग्रह का पहुंचना काफी मुश्किल है।
बुध ग्रह पर अंतरिक्षयान का पहुंचना काफी मुश्किल है क्योंकि यह सूर्य के सबसे निकट है। फिर भी वैज्ञानिकों ने अभी तक दो अंतरिक्ष यात्रियों को बुध की कक्षा में पहुंचाया
 है। प्रथम अंतरिक्ष यात्री मैरीनर 10 सन् 1974 को बुध ग्रह पर भेजा गया था जिसने बुध ग्रह का 45% मानचित्र सन् 1974 से 1975 तक के मध्य तैयार किया लेकिन 55% मानचित्र तैयार नहीं हो पाया। क्योंकि सूर्य के इतने करीब होने के कारण हब्बल दूरबीन इसके बाकि हिस्से का नक्शा नहीं बनाया गया।
नासा द्वारा प्रेषित अंतरिक्ष यात्री
लेकिन सन् 2004 में दुसरा अंतरिक्ष यात्री मेसगर नासा द्वारा बुध ग्रह पर भेजा गया। जिन्होंने 2011 में बुध की परिक्रमा पूरी की और सन् 2008 मैं मेरिनर 10 द्वारा जिन क्षेत्रों की तस्वीर नही ली गई थी उन क्षेत्रो की उच्चस्तरीय तस्वीरें भेजी थी।
बुध का पौराणिक चरित्र: - प्राचिनकाल से ही योजनाओं और उपग्रहों का ज्ञान हमारे पूर्वजों को था।कई ग्रंथों और उपन्यासों में सभी योजनाओं के बारे में जानकारीएँ मिलती हैं। बुध ग्रह के बारे में भी पहले के लोगों को ज्ञान था। बुध ग्रह को ईसा से 3 सदियों पहले से सुमेरियन काल से ही जाना जाता है। रोमन लोगों के अनुसार बुध ग्रह व्यापार और यात्रा का देवता माना जाता है।
भारतीय ग्रंथों के अनुसार बुध ग्रह की जानकारी

भारतीय ग्रंथों के अनुसार: -हिन्दु ग्रंथों के अनुसार बुध ग्रह बुध्दी और वाणी के देवता हैं। जब यह ग्रह किसी की कुंडली में अच्छी दशा में होता है। तो शुभ फलदायी होते हैं होता। लेकिन बुरी दशा में होतो मानसिक तनाव उत्पन्न करता है। बुध ग्रह हमेशा सूर्य के साथ होते हैं। और सूर्य के साथ हमेशा फलदायी होते हैं। यह नव ग्रहो में युवराज का स्थान प्राप्त करते हैं। सभी योजनाओं में इसे सबसे सिधा और सरल ग्रह माना जाता है। यह चंद्रमा के बेटे माने जाते हैं। इन्हें मिथुन राशि और कन्या राशि का स्वामी कहा जाता हैं। बुध की राशि में जन्मा व्यक्ति सुंदर और बुध्दिमान माना जाता हैं। बुध ग्रह को चन्द्र ग्रह का शत्रु माना जाता है। बुध ग्रह की माता बृहस्पति की पत्नी तारा को माना जाता हैं। एक पौराणिक कथा के अनुसार चन्द्र देव ने देवगुरु बृहस्पति की पत्नी तारा का आपकी गर्भाधान कर लिया था।सुशी भगवान के समझने के बाद भी चंद्र ने देवगुरु बृहस्पति की पत्नी तारा को वापस नहीं किया जिससे क्रोधित होकर इन्द्र आदि से दूर हो गए। देवताओं ने चन्द्र देव पर आक्रमण कर दिया और वृहस्पति देव को उनकी पत्नी तर को वापस दिलाया। किन्तु तर गर्भवती थी। यह वृहस्पति देव को देखकर बहुत दुखी हुई और  गर्भ त्याग ने का आदेश दिया। जिसका पालन करते हुए तारा ने  गर्भ त्याग दिया ।
कर दिया देवताओं के पुछने पर तारा ने उसने बेटे चन्द्र का बताया। यह जानकर चन्द्र ने उस लड़के को अपना लिया और उस लड़के को बुध नाम दिया।जिसको ब्रह्मा जी ने नवग्रहों में शामिल कर लिया इसलिए ब्रहस्पति को बुध के शत्रु माना जाता हैं।
 

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