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Showing posts from July, 2020

Formation of a protostar(आदि तारें का निर्माण)

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प्रोटोस्टार का गठन - तारे का जीवनचक्र आकाशगंगा में मोजूद हाईड्रोजन ओर हिलियम गैसों के संघन से प्रारंभ होता है।जो अंतत: घने बादलो का रुप धारण कर लेता है इन बादलों को ऊर्ट बादल कहते हैं कि इन बादलों का तापमान -173 ° c होता है। ओर जैसे जैसे ये बादलों का आकार बढ़ता जाता है। गैसो के अणुओं के बीच गुरूत्वाकर्षण बल बढ़ता जाता हैं ।जब बादलों का आकार काफी बढ़ा हो जाता हैं ।तब ये खुद के गुरूत्वाकर्षण बल  के कारण सिकुड़ता चला जाता हैं, यह सिकुड़ता हुआ घना गैस पिंड  आदि तारा कहलाता हैं। आदि तारा प्रकाश उत्सर्जित नहीं करता है। प्रोटोस्टार से तारे का निर्माण-  आदि तारा अत्याधिक सघन गैसीय द्राव्यमान वाला पिंड है।जो विशाल गुरूत्वाकर्षण बल के कारण आगे भी संकुचित होता रहता है ज्योही आदि तारा आगे संकुचित होना आरंभ करता है। गैस के बादल में उपस्थित हाईड्रोजन परमाणु अधिक जल्दी जल्दी परस्पर टकराते हैं। हाईड्रोजन परमाणु की ये टक्कर आदि तारें के ताप को ओर अधिक बढा देती हैं आदि तारें के संकुचन की प्रक्रिया लाखों सालों तक चलती रहती हैं जिसके दौरान आदि तारें में आन्तरिक ताप, आरंभ में मात्रा_173°cसे

Vast space(विशाल अंतरिक्ष)

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अंतरिक्ष करता है पृथ्वी के बाहर स्थित वह शून्य स्थान जहां वायुमंडल मंडल समाप्त होता है अंतरिक्ष कहलाता हैं। हम इसे एसे भी समझ सकते हैं। अंत+रिक्ष-अंतरिक्ष यानी जहां हमारे छितिज का अंत होता है अंतरिक्ष कहलाता हैं। अंतरिक्ष इतना विशाल हैं।जिसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते। यह वह स्थान है जहां मानुष्य का भार शून्य हो जाता हैं। यहां ग्रेविटी काम नही करती हैं। किन्तु इस अंतरिक्ष में स्थित सभी ग्रहों तथा पिण्डों में अपना गुरूत्वाकर्षण बल होता है। जो इस विशाल अंतरिक्ष में अपनी जगह स्थित है ओर अपनी धुरी पर घूमते रहते हैं। इस अंतरिक्ष की विशालता कई प्रकाशवर्ष हो सकती हैं।इस अंतरिक्ष में कई ग्रह,तारे, मंदाकिनी, तारिकाएं, सूर्य और ब्लैकहोल मोजूद है। अंतरिक्ष में गूप अंधेरे के सिवाए ओर कुछ नहीं है।जिस प्रकार काली रात में विशाल आसमान में गूप अंधेरे में तारें दिखाई देते हैं।उसी प्रकार अंतरिक्ष में सभी ग्रह वा पिंड दिखाई देते है। हमारे द्वारा दि गई जानकारी आप को केसी लागी कमेंट कर हमें बताये

तारे ( stars)

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तारों का जन्म ओर विकास         तारों का जीवन तारे सबसे व्यापक रूप से मान्यता प्राप्त खगोलीय पिंड हैं, और आकाशगंगाओं के सबसे मौलिक निर्माण खंडों का प्रतिनिधित्व करते हैं। एक आकाशगंगा में तारों की आयु, वितरण और संरचना, उस आकाशगंगा के इतिहास, गतिकी और विकास का पता लगाते हैं। इसके अलावा, तारे कार्बन, नाइट्रोजन और ऑक्सीजन जैसे भारी तत्वों के निर्माण और वितरण के लिए जिम्मेदार हैं, और उनकी विशेषताओं को उन ग्रहों प्रणालियों की विशेषताओं से पूरी तरह से बांध दिया गया है जो उनके बारे में सामंजस्य स्थापित कर सकते हैं। नतीजतन, सितारों के जन्म, जीवन और मृत्यु का अध्ययन खगोल विज्ञान के क्षेत्र में केंद्रीय है। सितारों के बनने की प्रक्रिया सितारे धूल के बादलों के भीतर पैदा होते हैं और अधिकांश आकाशगंगाओं में बिखरे हुए हैं। धूल के बादल जैसे एक परिचित उदाहरण ओरियन नेबुला है। इन बादलों के भीतर गहरापन पर्याप्त द्रव्यमान के साथ समुद्री मील को जन्म देता है कि गैस और धूल अपने गुरुत्वाकर्षण आकर्षण के तहत ढहना शुरू कर सकते हैं। जैसे ही बादल गिरता है, केंद्र में सामग्री गर्म होने लगती है। एक प्रोटोस्

आकाश गंगा ओर तरे

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आकशगंगा ओर तरे हैलो दोस्तो इससे पहले हमने ब्रह्माण्ड के बारे में बताया था आज हम आकाशगंगा ओर तरो के बेरे में जानेंगे। आकशगंगा दोस्तो जब भी हम रात के समय आसमान में देखते हैं तो हमें कई सारे तरे  दिखाई देते है वो भी झुंड में क्या आपने ये जानने की कोशिश की है ये इतने सारे तरे आते कहा से है। ये तरे आकाशगंगा में ही उत्पन होते है और इन्हीं में ख़तम भी हो जाते है।जी हां इन तरो की जननी आकाशगंगा ही होती है । आकाशगंगा को  मंदाकिनी भी कहते हैं। मंदाकिनी अरबों तरो का एक समूह होता है। तरे इन आकाशगंगा के साथ बंधे होते है इन तारों में खुद का अपना गृतवाकर्षण बल होता है।जो इन्हे अपनी दूरी पर बनाए रखता है।ओर आपस में टकराने नहीं देता। प्रत्येक आकाशगंगा में अरबों तरे होते है।ओर इतनी ही आकाशगंगा हमारे ब्रह्माण्ड में मौजूद है। एक अलाशगंगा का व्यास कई प्रकाश वर्ष हो सकता है।इन आकाशगंगा में 98% तरे ओर 2% गैस व धूल होती हैं। आकाशगंगा की इन विशालता के कारण प्रायद्वीप ब्रह्माण्ड कहते है। आकशगंगा का वर्गीकरण आकाशगंगा को इसकी विशालता के आधार पर। तीन भाग में बांटा गया है । सर्पिल आकाशगंगा  दी

ब्रह्माण्ड की अनोखी दुनिया

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ब्रह्माण्ड की अनोखी घटनाएं        हैलो दोस्तो आज हम बात करेंगे ब्रह्माण्ड के बारे में। हम जब भी रात के समय आकाश की ओर देखते हैं तो हमारे मन में ब्रह्माण्ड को लेके कई सवाल उठते है।जैसे कि ये कितना विशाल होगा कितने ही तरे तथा कितने ही ग्रह होंगे। तो चलो आज हम ब्रह्माण्ड की सैर पर चलते हैं। ब्रह्माण्ड-हमारी पृथ्वी को घेरने वाली अपार आकाश एवम् उसमें उपस्थित सभी खगोलीय पिंड तथा सम्पूर्ण ऊर्जा को समग्र रूप से ब्रह्माण्ड कहा जाता है ।हमारा ब्रह्माण्ड इतना विशाल है। जिसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते। इसके आकर की विशालता,इसमें मौजूद तरो की संख्या उनकी अपार दूरी तथा उनके द्रव्यमान का अनुमान लगाना हमारी बुद्घि के परे है। फिर भी बड़े परिणाम की संख्या के आधार पर इसका अनुमान लगाने की कोशिश की जाती है।जैसा की खगोल वैज्ञानिकों द्वारा ब्रह्माण्ड में सैकड़ों अरब तरे ओर मांदाकनिया है।तथा प्रत्येक मांदाकनिओ में एक सौ आरब तरे है। ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति- ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति केसे हुई।क्या कारण रहे होंगे इसकी उत्पत्ति के। ये प्रश्न हम सभी के  मान में आते है।इसी कड़ी को हम इस भाग में जानेंगे।ब्रह्माण्ड को ले